चुनावी महाभारत
वणी टाईम्स न्यूज : वणी विधानसभा क्षेत्र में महाविकास आघाड़ी से शिवसेना की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे संजय देरकर के समक्ष न सिर्फ विपक्षी दल महायुति के प्रत्याशी से निपटने की चुनौती है, बल्कि दलित और कुनबी समाज के 3 उम्मीदवारों ने भी उनकी मुश्किलें बढ़ा दी है। इन उम्मीदवारों के कारण महाविकास आघाड़ी के वोट बंट सकते हैं । हालांकि 4 नवंबर तक कौन हटता है और कौन डटा रहता है, इसी पर आगे की स्थिति निर्भर है। लेकिन यह तीनों उम्मीदवार चुनाव मैदान में डटे रहते हैं तो संजय देरकर के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी।
महाविकास आघाड़ी के संजय देरकर के खिलाफ कुनबी और दलित समाज के 3 मजबूत प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। महाविकास आघाड़ी के घटक दल कांग्रेस के बागी प्रत्याशी संजय खाड़े ने निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया है। वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के कुनबी समाज के ही अनिल हेपट आघाड़ी के वोटो में सेंध लगा सकते है। दलित वोट बैंक की बात करें तो वंचित बहुजन आघाड़ी के राजेंद्र निमसटकर आघाड़ी का समीकरण बिगाड़ सकते है।
कांग्रेस के नेता संजय खाड़े ने महाविकास आघाडी से उम्मीदवारी मांगी थी, लेकिन उनका टिकट कट गया। आघाड़ी ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के संजय देरकर को उम्मीदवारी दे दी। जिससे नाराज संजय खाड़े ने बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया है। संजय खाड़े का कुनबी समाज में अच्छा वर्चस्व है। दूसरी और कुनबी समाज के ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार अनिल हेपट का अपना वोट बैंक है। जो संजय देरकर का सिरदर्द बढ़ा सकता है।
इन तीन उम्मीदवारों के अलावा दलित समाज के बसपा प्रत्याशी अरुणकुमार खैरे, निर्दलीय हरीश पाते, कुनबी समाज के संभाजी ब्रिगेड के अजय धोबे व मुस्लिम समुदाय के आसिम हुसैन यह वोट कटवा साबित हो सकते है। यदि 4 नवंबर तक तीनो प्रत्याशी मैदान में डटे रहते है तो महाविकास आघाड़ी के प्रत्याशी संजय देरकर की जीत की राह कठिन हो सकती है।