वणी टाईम्स न्यूज : वणी तहसील के राजुर के मूल निवासी व नागपुर में रहने वाले सुरेंद्र बरडिया के बड़े पुत्र दर्पण बरडिया (43) का रविवार को आकस्मिक निधन हो गया। कुछ दिनों पूर्व जिम में व्यायाम कर कर घर आने के बाद उनकी तबियत खराब हो गई थी। जिसके बाद नागपुर के किंग्सवे हॉस्पिटल में उपचार के दौरान वो ब्रेनडेड अवस्था में चले गए। डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद दर्पण बरडिया ने रविवार को अंतिम सांस ली। वो प्रख्यात उद्योगपति नरेंद्र बरडिया के भतीजे थे।
उपचार को प्रतिसाद नहीं मिलने के कारण निरुपाय होकर दर्पण को जैन धर्म की पवित्र संलेखना का पचखान कराया गया। संलेखना (संथारा) की अवस्था में ही देहत्याग कर दर्पण ने मोक्षयात्रा की तरफ प्रस्थान किया। दर्पण के आकस्मिक निधन से बरडिया परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनकी मोक्षयात्रा सोमवार 9 दिसंबर को किंग्स अपार्टमेंट, पागलखाना चौक नागपुर से अंबाझरी घाट के लिए प्रस्थान करेगी।
जाते जाते कई लोगों को दे गए नया जीवन
दर्पण बरडिया के निधन के बाद परिवार ने उनके शरीर के अवयव (Orgen) दान देने का निश्चय किया। किंग्सवे हॉस्पिटल के चिकित्सकों के सहयोग से दर्पण बरडिया का हृदय (Heart), फेफड़े (Loungs), गुर्दे (Kidney), यकृत (Liver) व आंखे (Eye) दान किए गए। बरडिया परिवार के इस परोपकारी कार्य से कई मरीजों को नई जिंदगी मिलेगी।
जैन धर्म में क्या है संलेखना (संथारा) विधि ?
जैन धर्म में समाधि लेने को संलेखना (संथारा) कहा जाता है। जैन मान्यताओं के अनुसार, सुख के साथ और बिना किसी दुख के मृत्यु को धारण करने की प्रक्रिया ही संलेखना कही जाती है। इस दौरान जब कोई व्यक्ति मरणासन्न होता है या फिर उसे यह आभास होता है कि उसकी मृत्यु निकट है, तब वह अन्न-जल का पूरी तरह से त्याग कर देता है। इस दौरान साधक अपना पूर्ण ध्यान ईश्वर में केंद्रित कर देता है और देवलोक को प्राप्त हो जाता है।
वणी टाईम्स परिवार की तरफ से हार्दिक श्रद्धांजली तथा बरडिया परिवार को यह दुःख सहन करने की शक्ति मिले, ऐसी कामना।