वणी टाईम्स न्यूज : आगामी 17 अगस्त को तहसील के शिरपुर महादेव शिखर तक आयोजित भव्य कांवड़ यात्रा के नियोजन के लिए स्थानीय जैताई माता मंदिर में 28 जुलाई को बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में कांवड यात्रा समिति, शिवपुराण कथा समिति, त्रिशूल यात्रा समिति के पदाधिकारियों सहित शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
शहर के इतिहास में पहली बार कांवड़ यात्रा के आयोजन को लेकर शिवभक्तों में उत्साह का माहौल है। शहर से 12 किमी की दूरी पर स्थित प्रख्यात शिरपुर महादेव शिखर तक इस यात्रा का आयोजन किया गया है। 17 जुलाई को हजारों शिवभक्तों के साथ सैकड़ो कावड़िए पवित्र गंगाजल से भरी कांवड़ लेकर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए स्थानीय जैताई मंदिर से प्रस्थान करेंगे। डीजे पर शिव भजनों के साथ ही ढोल, बाजे की ताल पर झूमते,नाचते, गाते शिवभक्त, शिव तांडव पथक के साथ कावड़िए शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए शिरपुर पहुंचेंगे।
यात्रा में कांवड ढोने के इच्छुक कावड़ियों के लिए समिति के तरफ से निशुल्क कांवड़ उपलब्ध कराई जाएगी। यात्रा में शामिल लोगो की सुविधा के लिए वाहनों की व्यवस्था भी समिति की तरफ से की जाएगी। इसके अलावा वणी घुग्घूस मार्ग पर स्थित चोरड़िया फार्म हाउस में शिवभक्तों के लिए चाय पानी व नाश्ते की व्यवस्था समाजसेवी विजय पारसमल चोरड़िया की तरफ से रखी गई है।
पूर्व नगराध्यक्ष व भाजपा जिलाध्यक्ष तारेंद्र बोर्डे की अध्यक्षता व कथावाचक मनु महाराज तुगनायत के मार्गदर्शन में विधायक संजीवरेड्डी बोदकुरवार, मनसे नेता राजू उम्बरकर, समाजसेवी विजय चोरड़िया, राकेश खुराना, संजय खाड़े, अनिल पाटिल, निकेत गुप्ता, परमजीत सिंग रंधावा, मुकेश साहू, संतोष जायसवाल, राजकुमार जायसवाल की देखरेख में कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। कांवड़ यात्रा में कांवड़ ढोने के इच्छुक शिवभक्तों ने 7 जुलाई तक समिति के पास अपना नाम दर्ज कराने तथा ज्यादा से ज्यादा शिवभक्त यात्रा में शामिल होने का आवाहन समिति की तरफ से किया गया है।
क्या है कांवड़ यात्रा का महत्व ?
25 जुलाई से सावन का महीना प्रारंभ हो गया है। सावन का महीना भगवान शिव और उनके उपासकों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की अर्चना करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव को खुश करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा निकालते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं। ऐसी मान्यता भी है कि इस कांवड़ यात्रा के दौरान मांस, मदिरा, तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और न ही कांवड़ का अपमान (ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए) किया जाना चाहिए। कांवड़ यात्रा शिवो भूत्वा शिवम जयेत यानी शिव की पूजा शिव बन कर करो को चरितार्थ करती है।